5 बोरों में करोड़ों के जेवर भर इनोवा से भाग निकले, कारोबारी के यहां 1980 में भी पड़ी थी डकैती

Updated on 20-12-2023 12:53 PM
बाराबंकी: टिकैतगंज कस्बे में सोमवार शाम नकाबपोश डकैतों ने एक बर्तन कारोबारी के घर डाका डाला। डकैतों ने कारोबारी और उनके परिवारीजनों को बंधक बनाकर करीब तीन घंटे तक वारदात की। पांच बोरों में करोड़ों के जेवर भरे और इनोवा कार से भाग निकले। सरेशाम डकैती से इलाके में हड़कंप मच गया। पुलिस ने छानबीन शुरू कर दी है। डकैतों को दबोचने के लिए पुलिस की चार टीमें गठित की गई हैं।

बर्तन कारोबारी शिवकुमार के घर जब पुलिसकर्मी पहुंचे तो उन्‍हें जमीन पर चांदी जेवर पड़े मिले। सिर थामे बैठे कारोबारी के पास ही दहशतजदा दोनों बहनें खड़ी थीं। पुलिस अफसरों ने पीड़ित से कहा, जेवर तो यहीं पड़े हैं, कुछ गया तो नहीं है। कारोबारी बोला कि अब बचा ही क्या है? डकैत सब कुछ समेट ले गए। कारोबारी शिवकुमार और उनकी दोनों बहनों लक्ष्मी व विट्टो से एसपी दिनेश कुमार सिंह व अन्य पुलिस अफसरों ने डकैतों के बारे में काफी देर तक पूछताछ की। इसाके बाद डकैतों की तलाश में चार टीमें गठित की गईं। पूछताछ के दौरान पास ही रहने वाले रमाकांत बाजपेई, प्रधान फैसल और गर्वनर ने बताया कि डकैतों को पांच भरे बोरे ले जाते देखा था। चर्चा है कि बोरों में जेवर भरे थे, जिनकी कीमत करोड़ों में रही होगी। हालांकि पुलिस अफसरों के पूछने पर वारदात से लगे सदमे के कारण पीड़ित कुछ बता नहीं सका।

1980 की डकैती में पिता की जान चली गई थी


इलाके के लोगों ने बताया कि शिवकुमार के पिता मैकूलाल निगम जेवरों की गिरोह-गांठ का काम करते थे। 1970-80 के दौर में उनका काफी नाम था। साल 1980 में भी डकैती पड़ी थी। बदमाशों की फायरिंग में कई लोग घायल भी हुए थे। पिता की मौत के बाद शिवकुमार और उनके भाई राजकुमार कारोबार देखने लगे थे। एक हादसे में राजकुमार की मौत हो गई थी। बताया जा रहा है कि परिवार की कस्बे में काफी जमीनें भी हैं। जानकारी के अनुसार, शिवकुमार के खिलाफ चोरी, लूट के जेवर खरीदने के चार केस भी दर्ज हैं। कस्बे में शिवकुमार और उनकी दोनों बहनों की शादी नहीं होने को लेकर भी काफी चर्चा है। इतना ही नहीं, बड़े भाई राजकुमार भी अविवाहित थे।

जेवर गिरवी पर रखने का भी काम


बर्तन कारोबारी शिवकुमार निगम (50) दो बहनों लक्ष्मी (45) और विट्टो (43) के साथ टिकैतगंज कस्बे में रहते हैं। घर में ही उनकी बर्तन की पुश्तैनी दुकान है। वह जेवर भी गिरवी रखते हैं। सोमवार शाम करीब 7:30 बजे वह दुकान बंद कर रहे थे। दोनों नौकर अजय निगम व अंशु यादव घर जा चुके थे। इसी दौरान एक युवक दुकान पर आया। उसने भगोना मांगा। तब तक दूसरा युवक आ गया। उसने चार थाली मांगीं। शिवकुमार भगोना उठाने के लिए मुड़े, तभी तीन युवक और गए। शिवकुमार कुछ समझ पाते तब तक एक डकैत ने उनकी कनपटी पर पिस्टल सटा दी। बाकी डकैत घर में घुस गए। कारोबारी व उनकी दोनों बहनों को बंधक बना लिया। सभी के मोबाइल छीन लिए। दो डकैत कारोबारी व उनकी बहनों को गन पॉइंट पर लिए रहे। तीन डकैतों ने चाबी लेकर आलमारी व लॉकर खंगाले। उसके बाद जमीन में गड़े जेवर भी खोद कर निकाल लिये। डकैतों ने पांच बोरियों में जेवर भरे और इनोवा में लादकर रात करीब 10:27 बजे भाग निकले।

पड़ोसी युवक ने दी पुलिस को सूचना


वारदात के बाद भागते समय पड़ोस में रहने वाले एक युवक ने इनोवा सवार युवक के हाथ में पिस्टल देखी। अनहोनी की आशंका में वह शिवकुमार के घर पहुंचा। इसके बाद उसने ही पुलिस को सूचना दी।

लखनऊ की तरफ से जाती दिखी इनोवा


पुलिस की एक टीम ने मिली जानकारी के आधार पर रूट पर लगे सीसीटीवी कैमरों के फुटेज खंगाले। इसमें डकैतों की इनोवा बाराबंकी से लखनऊ की तरफ जाती नजर आई। गाड़ी महमूदाबाद रोड से लखनऊ की जाती दिखी। ऐसे में लिहाजा लखनऊ पुलिस को भी सतर्क कर दिया गया है। लखनऊ पुलिस की भी एक टीम बिना नंबर की ग्रे-कलर की इनोवा की तलाश में जुट गई है।

बाराबंकी से तार जुड़े होने का शक


दुकान पर सबसे पहले आए डकैत ने खुद को सीएचसी का कर्मचारी बताया था। कारोबारी से कहा था कि आज ही घुंघटेर सीएचसी पर हुआ है। ऐसे में कुछ बर्तन चाहिए। घुंघटेर का नाम आने से पुलिस वहां के बदमाशों के बारे में भी छानबीन कर रही है। इसके अलावा कारोबारी के दोनों नौकरों की भूमिका भी खंगाली जा रही है। वारदात नौकरों के जाने के बाद हुई थी, ऐसे में वे भी शक के दायरे में हैं। पुलिस अफसरों का मानना है कि मुखबिरी के बिना जमीन में गड़े जेवरों के बारे में पता चलना मुमकिन नहीं है।

हाथ में पिस्टल देख ठनका माथा

वारदात के दौरान विपिन गुप्ता कारोबारी के घर के पास ही खड़े थे। इसे पहले करीब तीन घंटे तक ग्रे कलर की इनोवा कारोबारी के घर के पास खड़ी थी और जाते समय अगली सीट पर बैठे शख्स के हाथ में पिस्टल देख उनका माथा ठनका। इसके बाद कुछ और लोगों के साथ कारोबारी के घर पहुंचे। तब तक लक्ष्मी ने खुद को बंधन मुक्त करा लिया था। इसके बाद बाकी की मदद से भाई शिवकुमार और बहन विट्टो के बंधन खोले।

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